इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसराइल में हुए आम चुनावों में भारी जीत का दावा किया है.
ये बीते दो साल के भीतर इसराइल में हुए चौथे चुनाव हैं. हालाँकि एक्ज़िट पोल के मुताबिक़ इस बार भी नेतन्याहू पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाएंगे.
इसराइल की 120 सीटों वाली संसद में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के 53 या 54 सीटें जीतने का अनुमान ज़ाहिर किया गया है, जबकि उनका विरोध कर रहीं पार्टियाँ कुल मिलाकर 59 सीटें जीत सकती हैं.
इसका मतलब ये है कि नेतन्याहू के पूर्व समर्थक और राष्ट्रवादी यामिना पार्टी के नेता नफ्ताली बेनेट किंगमेकर साबित हो सकते हैं.
अनुमानों के मुताबिक़ उनकी पार्टी सात से आठ सीटें जीत सकती है. हालाँकि अभी उन्होंने ये ज़ाहिर नहीं किया है कि वो किस गुट का समर्थन करेंगे.
इसराइली मीडिया में एक्ज़िट पोल नतीजों के जारी किए जाने के बाद बेनेट ने एक बयान में कहा है, ”मैं वहीं करूंगा जो इसराइल के लिए बेहतर होगा.”
स्थिर और राष्ट्रवादी सरकार चाहते हैं इसराइली: नेतन्याहू
बेनेट ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी ने नेतनयाहू से कहा है कि वो अपना निर्णय लेने के लिए अंतिम नतीजे आने का इंतज़ार करेंगे.
कोरोना महामारी की वजह से चुनाव नतीजे आने में थोड़ी देर हो रही है. इसराइल के चुनाव आयोग का कहना है कि अंतिम वोट बुधवार दोपहर तक गिने जा सकेंगे.
मंगलवार को ट्वीट करते हुए नेतन्याहू ने कहा, ”इसराइल के नागरिकों का धन्यवाद, आपने लिकुड पार्टी और दक्षिणपंथी गुटों को मेरे नेतृत्व में भारी जीत दी है. लिकुड अब तक सबसे बड़ी पार्टी है.”
नेतन्याहू ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि अधिकतर इसराइली लोग राष्ट्रवादी हैं और वो एक स्थिर राष्ट्रवादी सरकार चाहते हैं.
इसराइल में 67.2 प्रतिशत मतदाताओं ने इन चुनावों में वोट डाला है. इन चुनावों को नेतन्याहू के नेतृत्व पर जनमत संग्रह के तौर पर भी देखा जा रहा है.
71 वर्षीय बिन्यामिन नेतन्याहू साल 2009 के बाद से लगातार सत्ता में हैं. वो 1990 के दशक में भी तीन साल तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं नेतन्याहू
नेतन्याहू ने अपने चुनाव अभियान में कोविड-19 टीकाकरण और अरब देशों के साथ सुलझते रिश्तों को उपलब्धि के तौर पर पेश करके वोट माँगे थे.
भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना भी कर रहे हैं. उनके राजनीतिक विरोधियों का कहना था कि जब तक उन पर मुक़दमा चल रहा है, उन्हें प्रधानमंत्री पद पर नहीं रहना चाहिए. नेतन्याहू ख़ुद पर लगे भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को ख़ारिज करते रहे हैं.
इससे पहले हुए तीन चुनावों में न ही नेतन्याहू और न ही उनके विरोधी स्थिर सरकार बना सके हैं. रक्षा मंत्री बेनी गंट्ज़ के साथ गठबंधन में बनी पिछली सरकार दिसंबर में सात महीने बाद ही गिर गई थी.
वहीं एक्ज़िट पोल में गंट्ज़ की पार्टी को सात सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है. उन्होंने एक बयान में कहा है, नया प्रधानमंत्री बनाने के लिए जो भी उनसे होगा वो करेंगे.